<p><img src=*https://www.sanjeevnitoday.com/resources/uploads/NEWALLNEWS/2020/25012021/notice-to-the-center-in-the-appointment-of-members-and-chairpersons-of-the-22nd-law-commission-of-the-supreme-court_435651.jpg* /> <p style="text-align: justify;"><strong>नई दिल्ली। </strong>सुप्रीम कोर्ट ने 22वें लॉ कमीशन के सदस्यों और चेयरपर्सन की नियुक्ति की मांग करनेवाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है।</p>
<p style="text-align: justify;">याचिका में कहा गया है कि 21वें लॉ कमीशन का कार्यकाल 31 अगस्त 2018 को ही खत्म हो गया, लेकिन केंद्र सरकार ने लॉ कमीशन के कार्यकाल को न तो आगे बढ़ाया और न ही 22वें लॉ कमीशन का गठन किया है। याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने पिछली 19 फरवरी को 22वें लॉ कमीशन के गठन की स्वीकृति दे दी, लेकिन इसके लिए न तो चेयरपर्सन की नियुक्ति की गई और न ही इसके सदस्यों की। लॉ कमीशन 1 सितम्बर 2018 से काम नहीं कर रहा है। जब लॉ कमीशन कार्यरत ही नहीं है तो केंद्र सरकार उसकी विशेषज्ञता का लाभ उठाने की स्थिति में नहीं है।</p>
<p style="text-align: justify;">उल्लेखनीय है कि लॉ कमीशन केंद्र सरकार के अलावा, सुप्रीम कोर्ट, विभिन्न हाईकोर्ट की ओर से रेफर किए गए कानूनी मसलों पर रिसर्च करता है और पुराने कानूनों की समीक्षा कर नए कानूनों का भी सुझाव देता है।लॉ कमीशन समय-समय पर न्याय वितरण व्यवस्था में सुधार को लेकर अपने सुझाव देता रहता है।</p>
<p><strong>यह खबर भी पढ़े:</strong> मनी लाउंड्रिंग मामला: राऊज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व सांसद केडी सिंह की ईडी हिरासत बढ़ाई </p>
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 22वें लॉ कमीशन के सदस्यों और चेयरपर्सन की नियुक्ति की मांग करनेवाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि 21वें लॉ कमीशन का कार्यकाल 31 अगस्त 2018 को ही खत्म हो गया, लेकिन केंद्र सरकार ने लॉ कमीशन के कार्यकाल को न तो आगे बढ़ाया और न ही 22वें लॉ कमीशन का गठन किया है। याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने पिछली 19 फरवरी को 22वें लॉ कमीशन के गठन की स्वीकृति दे दी, लेकिन इसके लिए न तो चेयरपर्सन की नियुक्ति की गई और न ही इसके सदस्यों की। लॉ कमीशन 1 सितम्बर 2018 से काम नहीं कर रहा है। जब लॉ कमीशन कार्यरत ही नहीं है तो केंद्र सरकार उसकी विशेषज्ञता का लाभ उठाने की स्थिति में नहीं है।
उल्लेखनीय है कि लॉ कमीशन केंद्र सरकार के अलावा, सुप्रीम कोर्ट, विभिन्न हाईकोर्ट की ओर से रेफर किए गए कानूनी मसलों पर रिसर्च करता है और पुराने कानूनों की समीक्षा कर नए कानूनों का भी सुझाव देता है।लॉ कमीशन समय-समय पर न्याय वितरण व्यवस्था में सुधार को लेकर अपने सुझाव देता रहता है।
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