<p><img src=*https://www.sanjeevnitoday.com/resources/uploads/NEWALLNEWS/2020/13012021/separatist-sikh-for-justice-is-using-the-peasant-movement_431714.jpg* /> <p style="text-align: justify;"><strong>नई दिल्ली।</strong> सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को लेकर एक दिन पहले यानी मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान अपनी दलीलों में वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा था कि अमेरिका से संचालित प्रतिबंधित संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में चल रहे किसान आंदोलन को फंडिंग कर रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से केंद्र सरकार का पक्ष जानना चाहा। वेणुगोपाल ने इसके लिए एक दिन का समय मांगा था। लेकिन, सिख फॉर जस्टिस की तरफ से जारी एक विज्ञप्ति ने पहले ही हरीश साल्वे की दलीलों की पुष्टि कर दी है। सिख फॉर जस्टिस की यह विज्ञप्ति 11 जनवरी को न्यूयार्क से जारी की गयी थी, जो एक दिन बाद प्रकाश में आई। ‘सिख फॉर जस्टिस’ एक स्वयंभू खालिस्तानी समर्थक पृथकतावादी समूह है। वर्ष 2007 में अस्तित्व में आने के बाद से यह पंजाब में पृथकतावादी अभियान चला रहा है।</p>
<p style="text-align: justify;">इस संगठन ने अपनी विज्ञप्ति के जरिए इंडिया गेट पर होने वाली रिपब्लिक डे परेड में सिखों को खालिस्तानी झंडा लहराने की अपील की है। उसने इसके लिए ढाई लाख अमेरिकी डॉलर का इनाम रखा है। साथ ही संगठन ने पंजाब के किसानों को केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में 26 जनवरी की परेड के समानांतर केसरी ट्रैक्टर रैली आयोजित करने की भी अपील की। सिख फॉर जस्टिस ने खालिस्तानी झंडा लहराने वालों को ब्रिटेन में शरणार्थी के तौर पर दर्जा दिलाने का भी वादा किया है।</p>
<p style="text-align: justify;">सिख फॉर जस्टिस संगठन के सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू हाल ही में किसान आंदोलन से पहले भी सोशल मीडिया पर खालिस्तान के समर्थन में वीडियो जारी करता रहा है। इसके साथ ही वह भारत विरोधी एजेंडे के लिए पत्रकारों और मीडिया संस्थानों में रिकॉर्ड वक्तव्य से जुड़ी कॉल भी आती हैं। आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू पंजाब के गांव खानकोट का रहने वाला है और गांव में आज भी उसकी जमीन है। अगस्त 2018 में लंदन में संगठन ने खालिस्तान के समर्थन में एक रैली आयोजित की थी। इसमें उसने ‘रेफरेंडम-2020’ की घोषणा की थी। हालांकि सिख फॉर जस्टिस के एजेंडे को लेकर पंजाब में किसी भी तरह का समर्थन नहीं है।</p>
<p style="text-align: justify;">केन्द्र सरकार ने जुलाई-2019 में गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम के तहत संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके अलावा गृह मंत्रालय ने 11 लोगों को आतंकी घोषित किया था। इस सूची में बाद में सरकार ने 9 लोगों का नाम और जोड़ दिया था। वहीं दूसरी ओर संगठन के तार सीधे तौर पर पाकिस्तान से जुड़ते हुए नजर आते हैं। पन्नू, इमरान खान से रेफरेंडम 2020 के समर्थन के लिए अपील भी कर चुका है। सिख फॉर जस्टिस की वेबसाइट का ज्यादातर कंटेंट कराची पाकिस्तान से ही जुड़ा है।</p>
<p><strong>यह खबर भी पढ़े:</strong> रिटायर्ड शिक्षकों को नहीं दी कैशलेस मेडिकल सेवा, तीनों एमसीडी को हाईकोर्ट की फटकार </p>
</p>
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को लेकर एक दिन पहले यानी मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान अपनी दलीलों में वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा था कि अमेरिका से संचालित प्रतिबंधित संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में चल रहे किसान आंदोलन को फंडिंग कर रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से केंद्र सरकार का पक्ष जानना चाहा। वेणुगोपाल ने इसके लिए एक दिन का समय मांगा था। लेकिन, सिख फॉर जस्टिस की तरफ से जारी एक विज्ञप्ति ने पहले ही हरीश साल्वे की दलीलों की पुष्टि कर दी है। सिख फॉर जस्टिस की यह विज्ञप्ति 11 जनवरी को न्यूयार्क से जारी की गयी थी, जो एक दिन बाद प्रकाश में आई। ‘सिख फॉर जस्टिस’ एक स्वयंभू खालिस्तानी समर्थक पृथकतावादी समूह है। वर्ष 2007 में अस्तित्व में आने के बाद से यह पंजाब में पृथकतावादी अभियान चला रहा है।
इस संगठन ने अपनी विज्ञप्ति के जरिए इंडिया गेट पर होने वाली रिपब्लिक डे परेड में सिखों को खालिस्तानी झंडा लहराने की अपील की है। उसने इसके लिए ढाई लाख अमेरिकी डॉलर का इनाम रखा है। साथ ही संगठन ने पंजाब के किसानों को केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में 26 जनवरी की परेड के समानांतर केसरी ट्रैक्टर रैली आयोजित करने की भी अपील की। सिख फॉर जस्टिस ने खालिस्तानी झंडा लहराने वालों को ब्रिटेन में शरणार्थी के तौर पर दर्जा दिलाने का भी वादा किया है।
सिख फॉर जस्टिस संगठन के सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू हाल ही में किसान आंदोलन से पहले भी सोशल मीडिया पर खालिस्तान के समर्थन में वीडियो जारी करता रहा है। इसके साथ ही वह भारत विरोधी एजेंडे के लिए पत्रकारों और मीडिया संस्थानों में रिकॉर्ड वक्तव्य से जुड़ी कॉल भी आती हैं। आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू पंजाब के गांव खानकोट का रहने वाला है और गांव में आज भी उसकी जमीन है। अगस्त 2018 में लंदन में संगठन ने खालिस्तान के समर्थन में एक रैली आयोजित की थी। इसमें उसने ‘रेफरेंडम-2020’ की घोषणा की थी। हालांकि सिख फॉर जस्टिस के एजेंडे को लेकर पंजाब में किसी भी तरह का समर्थन नहीं है।
केन्द्र सरकार ने जुलाई-2019 में गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम के तहत संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके अलावा गृह मंत्रालय ने 11 लोगों को आतंकी घोषित किया था। इस सूची में बाद में सरकार ने 9 लोगों का नाम और जोड़ दिया था। वहीं दूसरी ओर संगठन के तार सीधे तौर पर पाकिस्तान से जुड़ते हुए नजर आते हैं। पन्नू, इमरान खान से रेफरेंडम 2020 के समर्थन के लिए अपील भी कर चुका है। सिख फॉर जस्टिस की वेबसाइट का ज्यादातर कंटेंट कराची पाकिस्तान से ही जुड़ा है।
यह खबर भी पढ़े: रिटायर्ड शिक्षकों को नहीं दी कैशलेस मेडिकल सेवा, तीनों एमसीडी को हाईकोर्ट की फटकार