<p><img src=*https://www.sanjeevnitoday.com/resources/uploads/NEWALLNEWS/2020/13012021/rahul-gandhi-again-targeted-the-center-said--modi-government-was-not-ashamed-of-the-martyrdom-of-more-than-60-annadata_431551.jpg* /> <p><strong>नई दिल्ली</strong>। तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 48वां दिन है। किसानों के इस शांत आंदोलन की ‘ताकत’ भी लगातार बढ़ती जा रही है। ठंड और बारिश की परवाह किए बिना हरियाणा, पंजाब, यूपी, राजस्थान समेत अन्य राज्यों से किसानों के जत्थे रसद के साथ लगातार धरनास्थल पर पहुंच रहे हैं। इस बीच राहुल गांधी ने किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है। </p>
<p>किसान आंदोलन में किसानों की मौत को लेकर राहुल गांधी ने फिर से ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा है। राहुल ने लिखा- '60 से ज़्यादा अन्नदाता की शहादत से मोदी सरकार शर्मिंदा नहीं हुई, लेकिन ट्रैक्टर रैली से इन्हें शर्मिंदगी हो रही है!'</p>
<blockquote class="twitter-tweet">
<p dir="ltr" lang="hi">60 से ज़्यादा अन्नदाता की शहादत से मोदी सरकार शर्मिंदा नहीं हुई लेकिन ट्रैक्टर रैली से इन्हें शर्मिंदगी हो रही है!</p>
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 13, 2021</blockquote>
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<p>उधर, कृषि कानूनों से जुडी याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद भी किसानों में कानूनों को लेकर गुस्सा बरकरार है। किसानों ने बुधवार को सिंघु बॉर्डर पर कानूनों की प्रतियां जलाई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी किसानों ने अपना धरना प्रदर्शन खत्म नहीं किया है। उनकी मांग है कि तीनों कृषि कानून वापस लिए जाएं। उनकी खाली एक ही मांग है कि सरकार अपने तीनों कृषि कानून वापस ले लें बस। </p>
<p>वहीं, सरकार हर बार किसानों से कह रही है कि ये कानून उनके फायदे के लिए बनाए गए हैं, मगर किसान मानने को तैयार नहीं है। इस बीच सरकार ने ये भी कहा कि किसान दूसरों के बरगलाने में न फंसे, सरकार उनके फायदे के लिए सोच रही है ना कि नुकसान के लिए। इन सबके बाद भी किसान सरकार की बात मानने को तैयार नहीं है। </p>
<p><img alt="Delhi Chalo March" src="https://www.sanjeevnitoday.com/gallery/181495.jpg" /></p>
<p>गौरतलब है कि आंदोलनकारी किसान 28 नवंबर से यूपी गेट पर डेरा डाले हुए हैं और 3 दिसंबर से NH-9 के गाजियाबाद-दिल्ली कैरिजवे को भी बंद कर दिया है। इन किसानों की मांग तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाए जाने की है। इसके मद्देनजर दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सिंघु बॉर्डर पर भारी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया। सरकार के साथ किसानों की 8 दौर की वार्ता हो चुकी है मगर उसके बाद भी कोई हल नहीं निकला है। किसान किसी भी कीमत पर मानने को तैयार नहीं है।</p>
<p><strong>यह खबर भी पढ़े:</strong> जहरीली शराब पीने से 2 की मौत, 8 लोगों की आंखों की रोशनी पर असर </p>
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नई दिल्ली। तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 48वां दिन है। किसानों के इस शांत आंदोलन की ‘ताकत’ भी लगातार बढ़ती जा रही है। ठंड और बारिश की परवाह किए बिना हरियाणा, पंजाब, यूपी, राजस्थान समेत अन्य राज्यों से किसानों के जत्थे रसद के साथ लगातार धरनास्थल पर पहुंच रहे हैं। इस बीच राहुल गांधी ने किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है।
किसान आंदोलन में किसानों की मौत को लेकर राहुल गांधी ने फिर से ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा है। राहुल ने लिखा- '60 से ज़्यादा अन्नदाता की शहादत से मोदी सरकार शर्मिंदा नहीं हुई, लेकिन ट्रैक्टर रैली से इन्हें शर्मिंदगी हो रही है!'
उधर, कृषि कानूनों से जुडी याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद भी किसानों में कानूनों को लेकर गुस्सा बरकरार है। किसानों ने बुधवार को सिंघु बॉर्डर पर कानूनों की प्रतियां जलाई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी किसानों ने अपना धरना प्रदर्शन खत्म नहीं किया है। उनकी मांग है कि तीनों कृषि कानून वापस लिए जाएं। उनकी खाली एक ही मांग है कि सरकार अपने तीनों कृषि कानून वापस ले लें बस।
वहीं, सरकार हर बार किसानों से कह रही है कि ये कानून उनके फायदे के लिए बनाए गए हैं, मगर किसान मानने को तैयार नहीं है। इस बीच सरकार ने ये भी कहा कि किसान दूसरों के बरगलाने में न फंसे, सरकार उनके फायदे के लिए सोच रही है ना कि नुकसान के लिए। इन सबके बाद भी किसान सरकार की बात मानने को तैयार नहीं है।

गौरतलब है कि आंदोलनकारी किसान 28 नवंबर से यूपी गेट पर डेरा डाले हुए हैं और 3 दिसंबर से NH-9 के गाजियाबाद-दिल्ली कैरिजवे को भी बंद कर दिया है। इन किसानों की मांग तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाए जाने की है। इसके मद्देनजर दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सिंघु बॉर्डर पर भारी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया। सरकार के साथ किसानों की 8 दौर की वार्ता हो चुकी है मगर उसके बाद भी कोई हल नहीं निकला है। किसान किसी भी कीमत पर मानने को तैयार नहीं है।
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